Monday 17 July 2017

हिन्दी व्याकरण : समाससमास अर्थ और परिभाषा : 'समास' शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है 'छोटा रूप'। अतः जब दो या दो से अधिक शब्द (पद) अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते है, उसे समास, सामाजिक शब्द या समस्त पद कहते है।जैस : 'रसोई के लिए घर' शब्दों में से 'के लिए' विभक्त का लोप करने पर नया शब्द बना 'रसोई घर', जो एक सामासिक शब्द है।

Tuesday 15 April 2014

कब्ज

कब्ज (CONSTIPATION)

पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। कब्ज का त्वरित उपचार आवश्यक है क्योंकि यदि कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाये तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। मल का निकास नियमित रूप में न होने के कारण आंतों में जमे मल में जैविक प्रक्रिया होने लगती है जिसके परिणाम स्वरूप पेट में गैस बदहजमी एवं बेचैनी को जन्म देती है। कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ न होने से है। एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को तो मल त्याग के लिये जाना ही चाहिये। दो बार नहीं तो कम से कम एक बार तो जाना आवश्यक है। नित्य कम से कम सुबह मल त्याग न कर पाना अस्वस्थता की निशानी है।

कब्ज होने के प्रमुख कारण

•    किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना। आलस्य करना।
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अल्पभोजन ग्रहण करना।
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शारीरिक के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना। 
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चाय, कॉफी बहुत ज्यादा पीना। धूम्रपान करना व शराब पीना।
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गरिष्ठ पदार्थों का अर्थात् देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करना।
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भोजन में फायबर (Fibers) का अभाव।
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आँत, लिवर और तिल्ली की बीमारी।
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दु:ख, चिन्ता, डर आदि का होना।
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सही वक्त पर भोजन न करना।
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बदहजमी और मंदाग्नि (पाचक अग्नि का धीमा पड़ना)।
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भोजन खूब चबा-चबाकर न करना अर्थात् जबरदस्ती भोजन ठूँसना। जल्दबाजी में भोजन करना।
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बगैर भूख के भोजन करना।
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ज्यादा उपवास करना।
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भोजन करते वक्त ध्यान भोजन को चबाने पर न होकर कहीं और होना।

मधुमेह

मधुमेह (DIABETES)
मधुमेह शरीर में चयापचय के विकृत होने से उत्पन्न बीमारी है जिसमें पेशाब में शर्करा आने लगता है क्योंकि शरीर के खून में शर्करा बढ़ जाती है। यह बीमारी स्त्री एवं पुरुष सभी में समान रूप से पायी जाती।
चरक ने मूत्र एवं शरीर में शर्करा के आधिक्य को मधुमेह कहा है।

मधुमेह के कारण

•    मधुमेह का प्रमुख कारण अग्न्याशय की विकृति है जो आहार-विहार में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती है।
•    
आहार में मधुर, अम्ल एवं लवण रसों के अत्यधिक सेवन से। 
•    
आराम-तलब जीवन व्यतीत करने से तथा व्यायाम एवं परिश्रम न करने से। 
•    
अत्यधिक चिन्ता एवं उद्वेग के परिणामस्वरूप।
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आवश्यकता से अधिक कैलोरी वाले शर्करा एवं स्नेहयुक्त भोजन करने से यह रोग उत्पन्न होता है।
•    
आधुनिक वैज्ञानिकों ने इस व्याधि का संबंध वंश-परम्परा से भी माना है। हालाँकि की चरक भी इसका अनुमोदन करते हैं।

मधुमेह के लक्षण

मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों में निम्न लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं-
•    
रोगी का मुँह खुश्क रहना तथा अत्यधिक प्यास लगना।
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भूख अधिक लगना।
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अधिक भोजन करने पर भी दुर्बल होते जाना।
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बिना कारण रोगी का भार कम होना, शरीर में थकावट के साथ-साथ मानसिक चिन्तन एवं एकाग्रता में कमी होना।
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मूत्र बार-बार एवं अधिक मात्रा में होना तथा मूत्र त्यागने के स्थान पर मूत्र की मिठास के कारण चीटियाँ लगना।
•    
शरीर में व्रण अथवा फोड़ा होने पर उसका घाव जल्दी न भरना।
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शरीर पर फोड़े-फुँसियाँ बार-बर निकलना।
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शरीर में निरन्तर खुजली रहना एवं दूरस्थ अंगों का सुन्न पड़ना।
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नेत्र की ज्योति बिना किसी कारण के कम होना।
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पुरुषत्वशक्ति में क्षीणता होना। 
•    
स्त्रियों में मासिक स्राव में विकृति अथवा उसका बन्द होना।

उपचार

•    जो व्यक्ति कुछ दिनों तक रोजाना 7 बेल की पत्तियों का (एक पत्ती में 3 पत्र होते हैं) तथा एक चम्मच ताजे आँवले का तथा एक चम्मच जामुन के पत्रों का रस आपस में मिलाकर पीता है (केवल सुबह के समय) उसके शरीर में शर्करा का पाचन होने लगता है।

•    
बेलपत्र स्वरस एवं निंबपत्र कोपल स्वरस 10-10 मि.ली. प्रात: व शाम लेने से मधुमेह रोग बहुत जल्दी नियंत्रित होता है। 
•    
मैथी के बीज का चूर्ण 20 ग्राम प्रात: व शाम जल से लेने से लाभ होता है।
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जामुन के बीज का चूर्ण 20 ग्राम या करेले का रस 20 मि.ली. प्रात: व शाम को लेवें।
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गुड़मार के पत्तों एवं गूलर के पत्तों का चूर्ण या स्वरस प्रात: व शाम लेना इस रोग में हितकर है।
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शुद्ध शिलाजीत 1 ग्राम प्रात: व शाम दूध से लेने से भी मधुमेह ठीक होता है।
•    
मधुमेह के रोगी को रोजाना सुबह के समय एक चम्मच भर तेजपात का चूर्ण फाँकना परम लाभदायक होता है। इससे शर्करा नियंत्रित रहती है।

मधुमेह पर विशेष उपचार

•    बिल्वपत्र की 7 पत्तियाँ (एक पत्ती=3 पत्तियाँ) एवं 5 काली मिर्च पीसकर सुबह के समय जल से खाली पेट 1 माह तक लेने से मधुमेह काफी सीमा तक दूर हो जाता है।

मधुमेह के रोगी क्या करें

•     चिन्ता, तनाव, व्यग्रता से मुक्त रहें।
•    
तीन माह में एक बार रक्त शर्करा की जाँच करावें।
•    
भोजन कम करें, भोजन में रेशे युक्त द्रव्य, तरकारी, जौ, चने, गेहूँ, बाजरे की रोटी, हरी सब्जी एवं दही का प्रचुरमात्रा में सेवन करें। चना और गेहूँ मिलाकर उसके आटे की रोटी खाना बेहतर है। चना तथा गेहूँ का अनुपात 1:10 हो।
•    
हल्का व्यायाम करें, शारीरिक परिश्रम करें अथवा प्रात: 4-5 कि.मी. घूमें।
•    
मधुमेह पीड़ित मनुष्य नियमित एवं संयमित जीवन के लिये विशेष ध्यान रखें।
•    
शर्करीय पदार्थों का सेवन बहुत सीमित करें। 
•    
स्थूल तथा अधिक भार वाले व्यक्ति अपना वजन कम रखने का प्रयत्न करें।
•    
चरपरे एवं कषाय रसयुक्त आहार का विशेष सेवन करें।
•    
मैथुन यथासंभव कम करें एवं योग्य ब्रह्मचर्य धारण करें।
•    
दवाओं का सेवन चिकित्सक के परामर्श से ही करें।
•    
नित्य कुछ समय के लिये प्राणायाम अवश्य करना चाहिये। जहाँ तक संभव हो कुछ समय नंगे पैर जमीन पर अवश्य चलना, यदाकदा स्थान, जलवायु इत्यादि में भी बदलाव करें। शक्कर के स्तर की नियमित जाँच कराते रहें।

नोट- मधुमेह के रोगियों को सूर्य नमस्कारकरने से बहुत लाभ होता है। इस यौगिक क्रिया की जानकारी किसी भी योग्य जानकार से आसानी से हो जाती है। इसी लेखक और प्रकाशक की पुस्तक सब कुछ विचित्रमें सूर्य नमस्कार पर भरपूर प्रकाश डाला गया है।

मधुमेह के रोगी क्या न करें


•    अधिक मात्रा में कार्बोजयुक्त, शक्कर, आलू, शकरकन्द, केला, मीठे फल, आनूप देश के पशु व पक्षियों का मांस एवं चावल का सेवन न करें।
•    
क्रोध, शोक, चिन्ता, भय, वासनामय उद्वेग, मानसिक तनाव से बचें।
•    
गुण विरुद्ध, संयोग विरुद्ध, संस्कार विरुद्ध, काल विरुद्ध आहार-विहार से भी अपने आप को बचायें। 
•    
आराम-तलबी जीवन व्यतीत न करें। 
•    
मादक द्रव्यों, सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, मदिरा आदि के सेवन से बचें।
•    
अत्यधिक परिश्रम न करें।
•    
नित्य भ्रमण पर जावें।

आयुर्वैदिक नुस्के

भूख न लगना
हमारे शरीर की अग्नि खाये गये भोजन को पचाने का काम करती है,यदि यह अग्नि किसी कारण से मंद प्ड जाये तो भोजन ठीक तरह से नही पचता है,भोजन के ठीक से नही पचने के कारण शरीर में कितने ही रोग पैदा हो जाते है,अनियमित खानपान से वायु पित्त और कफ़ दूषित हो जाते है,जिसकी वजह से भूख लगनी बंद हो जाती है,और अजीर्ण अपच वायु विकार तथा पित्त आदि की शिकायतें आने लगती है,भूख लगनी बंद हो जाती है,शरीर टूटने लगता है,क्मुंह में साबुन सा घुलने लगता है,स्वाद बिगड जाता है,पेट में भारीपन महसूस होने लगता है,पेट खराब होने से दिमाग खराब रहना चालू हो जाता है,अथवा समझ लीजिये कि शरीर का पूरा का पूरा तंत्र ही खराब हो जाता है,इसके लिये मंन्दाग्नि से हमेशा बचना चाहिये और तकलीफ़ होने पर इन दवाओं का प्रयोग करना चाहिये।

  • भूख नही लगने पर आधा माशा फ़ूला हुआ सुहागा एक कप गुनगुने पानी में दो तीन बार लेने से भूख खुल जाती है।
  • काला नमक चाटने से गैस खारिज होती है,और भूख बढती है,यह नमक पेट को भी साफ़ करता है।
  • हरड का चूर्ण सौंठ और गुड के साथ अथवा सेंधे नमक के साह सेवन करने से मंदाग्नि ठीक होती है।
  • सेंधा नमक,हींग अजवायन और त्रिफ़ला का समभाग लेकर कूट पीस कर चूर्ण बना लें,इस चूर्ण के बराबर पुराना गुड लेकर सारे चूर्ण के अन्दर मिला दें,और छोटी छोटी गोलियां बना लें,रोजाना ताजे पानी से एक या दो गोली लेना चालू कर दे,यह गोलियां खाना खाने के बाद ली जाती है,इससे खाना पचेगा भी और भूख भी बढेगी।
  • हरड को नीब की निबोलियों के साथ लेने से भूख बढती है,और शरीर के चर्म रोगों का भी नाश होता है।
  • हरड गुड और सौंठ का चूर्ण बनाकर उसे थोडा थोडा मट्ठे के साथ रोजाना लेने से भूख खुल जाती है।
  • छाछ के रोजाना लेने से मंदाग्नि खत्म हो जाती है।
  • सोंठ का चूर्ण घी में मिलाकर चाटने से और गरम जल खूब पीने से भूख खूब लगती है।
  • रोज भोजन करने से पहले छिली हुई अदरक को सेंधा नमक लगाकर खाने से भूख बढती है।
  • लाल मिर्च को नीबू के रस में चालीस दिन तक खरल करके दो दो रत्ती की गोलियां बना लें,रोज एक गोली खाने से भूख बढती है।
  • गेंहूं के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर रोटी बनवायी जाये,इससे भूख बहुत बढती है।
  • चने के प्रयोग से पाचन शक्ति बढती है,इसके लिये उबले चने चने की रोटी भुने चने खाने चाहिये।
  • मोठ की दाल मंदाग्नि और बुखार की नाशक है।
  • डेढ ग्राम सांभर नमक रोज सुबह फ़ांककर पानी पीलें,मंदाग्नि का नामोनिशान मिट जायेगा।
  • टमाटर का सास चाटते रहने से या पके टमाटर की फ़ांके चूंसते रहने से भूख खुल जाती है।
  • दो छुहारों का गूदा निकाल कर तीन सौ ग्राम दूध में पका लें,छुहारों का सत निकलने पर दूध को पी लें,इससे खाना भी पचता है,और भूख भी लगती है।
  • जीरा सोंठ अजवायन छोटी पीपल और काली मिर्च समभाग में लें,उसमे थोडी सी हींग मिला लें,फ़िर इन सबको खूब बारीक पीस कर चूर्ण बना लें,इस चूर्ण का एक चम्मच भाग छाछ मे मिलाकर रोजाना पीना चालू करें,दो सप्ताह तक लेने से कैसी भी कब्जियत में फ़ायदा देगा।
  • भोजन के आधा घंटा पूर्व चुकन्दर गाजर टमाटर पत्ता गोभी पालक तथा अन्य हरी साग सब्जियां व फ़लीदार सब्जियों के मिश्रण का रस पीने से भूख बढती है।
  • सेब का सेवन करने से भूख भी बढती है और खून भी साफ़ होता है।
  • अजवायन चालीस ग्राम सेंधा नमक दस ग्राम दोनो को कूट पीस कर एक साफ़ बोतल में रखलें,इसमे दो ग्राम चूर्ण रोजाना सवेरे फ़ांक कर ऊपर से पानी पी लें,इससे भूख भी बढेगी और वात वाली बीमारियां भी समाप्त होंगी।
  • एक पाव सौंफ़ पानी में भिगो दें,फ़िर इस पानी में चौगुनी मिश्री मिलाकर पका लें,इस शरबत को चाटने से भूख बढती है।
  • पकी हुई मीठी इमली के पत्ते सेंधा नमक या काला नमक काली मिर्च और हींग का काढा बनाकर पीने से मंदाग्नि ठीक हो जाती है।
  • जायफ़ल का एक ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से जठराग्नि प्रबल होकर मंदाग्नि दूर होती है।
  • सोंफ़ सोंठ और मिश्री सभी को समान भाग लेकर ताजे पानी से रोजाना लेना चाहिये इससे पाचन शक्ति प्रबल होती है।
  • जवाखार और सोंठ का चूर्ण गरम पानी से लेने से मंदाग्नि दूर होती है।
  • लीची को भोजन से पहले लेने से पाचन शक्ति और भूख में बढोत्तरी होती है।
  • अनार भी क्षुधा वर्धक होता है,इसका सेवन करने से भूख बढती है।
  • नीबू का रस रोजाना पानी में मिलाकर पीने से भूख बढती है।
  • आधा गिलास अनन्नास का रस भोजन से पहले पीने से भूख बढती है।
  • तरबूज के बीज की गिरी खाने से भूख बढती है।
  • बील का फ़ल या जूस भी भूख बढाने वाला होता है।
  • इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खाने से भूख भी बढती है,और खाना भी हजम होता है।
  • सिरका सोंठ काला नमक भुना सुहागा और फ़ूला हींग समभाग मे लेकर मिला लें,रोजाना खाने के बाद भूख बढती है।
  • सूखा पौदीना बडी इलायची सोंठ सौंफ़ गुलाब के फ़ूल धनिया सफ़ेद जीरा अनारदाना आलूबुखारा और हरड समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें,मंदाग्नि अवश्य दूर हो जायेगी।
  • एक ग्राम लाल मिर्च को अदरक और नीबू के रस में खरल कर लें,फ़िर इसकी काली मिर्च के बराबर की गोलिया बना लें, यह गोली चूसने से भूख बढती है।